देख जब आइना मुझे, मुझ पे ही हंस
देता है,
अपनी सूरत में खता क्या है,
कसक देता है
कर ना नापाक अब तू छू के उसे, पुजारी
ये धमक देता है
दिए जब गम जिन्हें हमने अपनी हर ख़ुशी
दे दी थी,
अपनी किस्मत पे ये
आँख भी दो आँसूं सिसक देता है
हमने क्या कह डाले,
सपनो में बसे कुछ मंज़र,
उसपे इश्क का रंग क्यूँ,
दुनिया ये चढ़ा देता है
करेगा क्या रहम दुनिया, ज़हर अपना तू
खुद ही पी लेना
ज़िन्दगी हर कदम पे मुझको यही सबक देता है
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