बेजुबां-बेगुनाहों के दर्द
में थी चीख इतनी
कि अम्बर का अमन तोड़
दिया
हे ख़ुदगर्ज-इन्सां,
तेरी बदनीयती को देख कर
हसीँ-पूनम ने चमक छोड़ दिया
ओ ज़मीं वालों,
तेरी हैवानियत से टूट कर
सितारों ने गगन छोड़ दिया
जो कसम मरने की,
ले के चले थे
अन्धेरा देखते उन्होंने सफ़र मोड़ लिया
तेरे क्षद्म-छलावे के जख्म
इतने गहरे थे
कि शर्म से काँटों
ने चुभन छोड़ दिया
लगे जो बेचने तुमने ग़मों के आंसूँ
तो खुशियों ने
भी संग तोड़ लिया
अब तो शर्म करो,
ओ मौत पे हसने वालों
जो ख़ुद लाशों ने कफ़न
ओढ़
लिया
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