तेरा साथ है बाकी

अभी तो सूर्य ढला है
अभी है रात बाकी
तनहा तारों की बातें हैं
चीख रहे जज्बात हैं बाकी

हंस रहा हूँ ये सोंचकर की
क्या कुछ और है बाकी
नाजुक सी मुस्कराहट,
हलकी सी बेचैनी,
थमी सांसें, झुकी पलकें
इन सबों का अभी साथ है बाकी

भीर में टकराया तो ख्याल आया
उन नशीली आँखों से जाम पीना है बाकी
थोरी बदमाशी, थोरी शैतानी
और तुम्हारी ओर खींचे जाना
फिर तुम्हारा इतराना है बाकी

इक और गुस्ताखी अभी है बाकी
लोगों का डर समाज की फ़िक्र
आते जाते लम्हों का जिक्र
बस अब एक अनजाने डोर से
तेरे साथ जुर जाना है बाकी

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