ये दास्ताँ हमारी

लिखी है किताब ज़िन्दगी पर अपनी
हर पन्ने पर है दास्ताँ हमारी
कभी ख़ुशी तो कभी विरानगी है
पर छाई है हर तरफ ज़ुबानी हमारी

पहला कदम हमने लिया
पता न था है मंजिल किस ओर
था सहारा खुदा का हमारे साथ
थी डोर इस कहानी की उसके के हाथ

गुज़ारे दिन,महीने, साल इस तरह
की खो गयी मासूम खिलखिलाहट हमारी
मिल गया महासाल हममे
की उम्र का वोह दौर बीत गया

टूट गयी कच्चे फलों की वोह डाली
अब था उस पर जवानी का रंग चढ़ा
दिल में उठी बेताबियो की किरने कुछ इस तरह
की बदल गयी पहचान हमारी

पत्तों पर ओस की बुँदे बीचा देती है अपना जाल
थी जिस्म पर लिपटी हुई एक चादर
थी आँखों में नजाकत, होंठों पर मुस्कान
यही बन गयी अब हस्ती हमारी

पर है एक मुकाम हासिल करना बाकी हमे
की न ढली है ज़िन्दगी हमारी
अब भी है वोह चमक चेहरे पर
की रोशन हो जाए ये दुनिया हमारी

पन्ने है अब भी चाँद से चमकीले
हाँ है बाकी अभी ये कहानी हमारी
की बाकी है ज़िन्दगी का एक पढाव
और बाकी है यह दास्ताँ हमारी !!!!

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